आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।

आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।

केंद्र ने 11 अगस्त 2023 को लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए हैं जो देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में पूर्ण बदलाव का प्रस्ताव करते हैं। तीन विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 को बदलने के लिए निर्धारित हैं; दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872।

नए बिल हैं:

  • भारतीय न्याय संहिता, 2023: इस विधेयक का उद्देश्य आईपीसी को प्रतिस्थापित करना और नए अपराध और दंड पेश करना है, जैसे बलात्कार के लिए आजीवन कारावास, आतंकवाद के लिए मृत्युदंड और साइबर अपराधों के लिए कारावास।
  • भारतीय न्याय प्रक्रिया संहिता, 2023: इस विधेयक का उद्देश्य सीआरपीसी को बदलना और आपराधिक प्रक्रिया को सरल बनाना है, जैसे गवाहों की संख्या कम करना, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति देना और मुकदमों में तेजी लाना।
  • भारतीय साक्ष्य संहिता, 2023: इस विधेयक का उद्देश्य भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करना और साक्ष्य के नियमों को अद्यतन करना है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, डीएनए साक्ष्य और नार्को-विश्लेषण की अनुमति देना।

विधेयकों को आगे की जांच के लिए संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया है।

प्रश्न: कौन सा विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 को बदलने का प्रस्ताव करता है?

a) भारतीय न्याय संहिता, 2023
b) भारतीय न्याय प्रकृति संहिता, 2023
c) भारतीय साक्ष्य संहिता, 2023
d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: a) भारतीय न्याय संहिता, 2023

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