DRDO ने भारतीय नौसेना को मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (MR-MOCR) सौंपा

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 26 जून 2024 को नई दिल्ली में भारतीय नौसेना को मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (MR-MOCR) सौंपा।

माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ जोधपुर में डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला द्वारा विकसित एक विशिष्ट तकनीक है। यह तकनीक रडार संकेतों को अस्पष्ट करती है और प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों के चारों ओर एक माइक्रोवेव ढाल बनाती है, जिससे रडार का पता लगाना कम हो जाता है।

मध्यम दूरी के चैफ रॉकेट में विशेष प्रकार के रेशों का संयोजन किया गया है। जब दागा जाता है, तो रॉकेट अंतरिक्ष में एक माइक्रोवेव अस्पष्ट बादल बनाता है, जो पर्याप्त क्षेत्र में फैल जाता है।

प्रश्न: क्या होता है जब मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (एमआर-एमओसीआर) दागा जाता है?

a) यह प्रभाव पड़ने पर फट जाता है
b) यह अंतरिक्ष में एक माइक्रोवेव अस्पष्ट बादल बनाता है
c) यह फ्लेयर्स छोड़ता है
d) यह उच्च-आवृत्ति ध्वनि उत्सर्जित करता है

उत्तर: b) यह अंतरिक्ष में एक माइक्रोवेव अस्पष्ट बादल बनाता है
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 26 जून 2024 को नई दिल्ली में भारतीय नौसेना को मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (MR-MOCR) सौंपा।

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