17 जुलाई 2023 को नई दिल्ली में नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के मुख्य बिंदु:
- 2015-16 और 2019-21 के बीच देश में बहुआयामी गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 24.85 प्रतिशत से घटकर 14.96 प्रतिशत हो गई है।
- इस अवधि में लगभग 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बच गये हैं।
- भारत सतत विकास लक्ष्यों, विशेष रूप से लक्ष्य 1.2, को निर्धारित समय से पहले 2030 तक प्राप्त करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।
- उल्लिखित अवधि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 32.59 प्रतिशत से तेजी से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है।
- उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोगों के साथ गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है, इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है।
- बहुआयामी गरीबी के अनुपात में सबसे तेजी से कमी दिखाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान हैं।
- पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा के वर्षों, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन ने गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के आधार पर गरीबी को मापता है, जिससे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सुधार योजनाओं को आकार देने में मदद मिलती है।
- नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने रिपोर्ट जारी की और मीडिया को जानकारी दी।
प्रश्न: जुलाई 2023 में नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार भारत के किस राज्य में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई?
a) बिहार
b) मध्य प्रदेश
c) उत्तर प्रदेश
d) ओडिशा
उत्तर: c) उत्तर प्रदेश