37वां सूरजकुंड शिल्प मेला 2024 कला, संस्कृति और विरासत का एक जीवंत उत्सव है जिसका उद्घाटन 2 फरवरी 2024 को भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया था।
तिथियाँ: उत्सव 2 फरवरी (शुक्रवार) से 18 फरवरी (रविवार) तक एक पखवाड़े तक चलता है।
स्थान: यह मनमोहक मेला सूरजकुंड, फ़रीदाबाद में लगता है, जो 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा सूरज पाल द्वारा निर्मित एक ऐतिहासिक जलाशय है। “सूरजकुंड” नाम का हिंदी में अनुवाद “सूर्य की झील” है।
अंतर्राष्ट्रीय शोकेस: दक्षिण एशिया, अफ्रीका और यूरोप के 20 से अधिक देशों के कलाकार सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, जिससे यह एक बड़ी सफलता बन जाती है। वे अपनी विविध संस्कृतियों और प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने के लिए इस अनूठे मंच का उपयोग करते हैं।
आकर्षण: सभी उम्र के पर्यटक ढेर सारे आकर्षणों का आनंद ले सकते हैं, जिनमें शामिल हैं: पारंपरिक लोक नृत्य: मनोरम लोक नृत्यों का गवाह बनना जो क्षेत्रीय स्वाद को जीवन में लाते हैं। संगीत कार्यक्रम: मधुर धुनों और लयबद्ध प्रदर्शन में डूब जाएं। कठपुतली नाटक: कठपुतली की कलात्मकता में आनंद, कहानी कहने का एक समय-सम्मानित रूप।
सूरजकुंड मेले के बारे में:
फ़रीदाबाद के पास लक्कड़पुर और बाहरपुर गाँवों के बीच स्थित, इस सुरम्य मेले का उद्देश्य स्थानीय कारीगरों की प्रतिभा और संस्कृति को बढ़ावा देना है। हर साल, मेला एक भारतीय राज्य पर आधारित थीम के इर्द-गिर्द घूमता है, जो इसकी वास्तुकला, भावना और सजावट को प्रभावित करता है।
प्रश्न: सूरजकुंड शिल्प मेला कहाँ आयोजित किया जाता है?
a) सूरजकुंड, गुड़गांव
b) सूरजकुंड, नोएडा
c) सूरजकुंड, फ़रीदाबाद
d) सूरजकुंड, गाजियाबाद
उत्तर:c) सूरजकुंड, फ़रीदाबाद
प्रश्न: 10वीं शताब्दी में सूरजकुंड में ऐतिहासिक जलाशय का निर्माण किसने करवाया था?
a)अकबर
b) राजा सूरज पाल
c) तोमर राजवंश
d) द्रौपदी मुर्मू
उत्तर: c) तोमर राजवंश