केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और बिहार में नमामि गंगे मिशन 2.0 के तहत कुल 920 करोड़ रुपये की चार प्रमुख परियोजनाओं को पूरा और संचालित किया है। इन परियोजनाओं का लक्ष्य सीवेज उपचार क्षमता को 145 मेगालीटर प्रति दिन (एमएलडी) तक बढ़ाना और सीवर नेटवर्क में सुधार करना है। मुख्य आकर्षण में शामिल हैं:
- प्रौद्योगिकी और मानक: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) मानकों का पालन करते हुए हाइब्रिड वार्षिकी पीपीपी (एचएएम) मॉडल और उन्नत अनुक्रमण बैच रिएक्टर प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: इसका उद्देश्य सीवेज का उपचार करके और अनुपचारित निर्वहन को रोककर गंगा और उसकी सहायक नदियों की जल गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार करना है।
परियोजना स्थान और विवरण:
- मुंगेर, बिहार: लागत: 366 करोड़ रुपये, सीवरेज नेटवर्क: 175 किमी, एसटीपी क्षमता: 30 एमएलडी, लाभ: लगभग 300,000 निवासी
- मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश: लागत: 129 करोड़ रुपये, सीवेज उपचार: 8.5 एमएलडी क्षमता वाले दो नए एसटीपी (पक्का पोखरा और बिसुंदरपुर)
- गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश: लागत: 153 करोड़ रुपये, नेटवर्क: 1.3 किमी अवरोधन और मोड़, एसटीपी क्षमता: 21 एमएलडी
- बरेली, उत्तर प्रदेश: लागत: 271 करोड़ रुपये, फोकस: गंगा प्रदूषण को रोकने के लिए सीवेज को रोकना, मोड़ना और उसका उपचार करना
सामुदायिक लाभ:
- पानी की गुणवत्ता और स्वच्छता के बुनियादी ढांचे को बढ़ाता है।
- घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ता है, अनुपचारित सीवेज निर्वहन को रोकता है।
ये पहल व्यापक नमामि गंगे मिशन का हिस्सा हैं, जिसका लक्ष्य भविष्य की पीढ़ियों के लिए गंगा नदी को पुनर्जीवित और संरक्षित करना है।
प्रश्न: नमामि गंगे मिशन का प्राथमिक लक्ष्य क्या है?
a) नए बांध बनाने के लिए
b) गंगा नदी का कायाकल्प और संरक्षण करना
c) गंगा के किनारे पर्यटन को बढ़ावा देना
d) गंगा पर नए पुलों का निर्माण करना
उत्तर: b) गंगा नदी का कायाकल्प और संरक्षण करना
नमामि गंगे मिशन का उद्देश्य भावी पीढ़ियों के लिए गंगा नदी का कायाकल्प और संरक्षण करना है।