वार्षिक कांवर यात्रा 4 जुलाई 2023 को देश के विभिन्न हिस्सों में शुरू हो गई है। यात्रा उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरेगी और भक्त गंगा नदी से पवित्र जल एकत्र करेंगे।
यात्रा के दौरान भक्त नारे लगाते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। कुछ प्रतिभागी पैदल यात्रा तय करते हैं, जबकि अन्य निजी वाहनों का उपयोग करते हैं या गैर सरकारी संगठनों से सहायता प्राप्त करते हैं।
इस साल उत्तराखंड में बड़ी संख्या में कांवरियों के आने की उम्मीद है और राज्य सरकार ने विशेष इंतजाम किये हैं. हरिद्वार पहुंचने पर हेलीकॉप्टर ने कांवरियों पर पुष्प वर्षा की। प्रशासन ने गर्मी से बचने के लिए बुनियादी सुविधाएं और पानी के छिड़काव की व्यवस्था की है। सुरक्षा और ड्रोन कैमरे से निगरानी के लिए मेला क्षेत्र को सुपरजोन, जोन और सेक्टर में बांटा गया है। कांवडियों द्वारा मंदिरों में जलाभिषेक के साथ कांवर यात्रा का समापन होता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक इंतजाम किये हैं और पुलिस यात्रा मार्ग पर कड़ी निगरानी रख रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीसीटीवी कैमरे लगाने और गोताखोरों की तैनाती के साथ ही कांवड़ शिविरों को पहले से ही चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं. पिछले वर्ष, श्रावण के पवित्र महीने के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर का दौरा किया।
प्रश्न: उस बांस के खंभे का क्या नाम है जिसके दोनों तरफ गंगा जल के घड़े बंधे होते हैं जिसे श्रद्धालु कांवर यात्रा के दौरान ले जाते हैं?
a) कुम्भ
b) कंवर
c) काशी
d) कवच
उत्तर: b) कंवर